प्यार, मुहब्बत, इश्क की बात करते हो।
अरे पागल हो क्या? कैसी बात करते हो।
जिसकी बात करते हो तुम,सब हवस है।
हवस को प्रेम प्यार की श्रेणी में रखते हो।
प्यार की परिभाषा ही कृष्ण है।
कर्म की पुकार,राधा को त्यागा।
उर्मिला का बिछोह ही प्यार है।
कवि को उर्मिला समझ आया।
भाई लक्ष्मण का त्याग भी भाया।
रूक्मिणी को स्वर्ग का डर सताया।
राधा ने पैर धोकर कृष्ण को लगाया।
राधा को नर्क का नहीं कृष्ण का ख्याल आया।
जबरन जिस्म हासिल किया जा सकता है।
किसी की मुहब्बत नहीं पाया जा सकता है।
अकाट्य सत्य है इसे झूठलाया नहीं जा सकता।
कृष्ण ने twin flame को समझाया था।
प्रेम बंधन नहीं मोक्ष है सबको समझाया था।
प्यार इश्क-ऐ-दरिया है समझ आया नहीं।
इसमें डूबने वाले को उबरना आया नहीं।
प्यार कोई व्योपार नहीं, इसका जिस्म से कोई सरोकार नहीं।
इश्क-ऐ-दरिया में डूबने वाले, अंजाम देखा करते नहीं।
वफ़ा करने वाले बेवफ़ाई का हिसाब कभी रखा करते नहीं।
नगीना शर्मा 🌴
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