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मेरे जिंदगी के फैसले कोई और ले मंज़ूर नहीं |
मैं हक के बदले भीख लेने से इंकार करती हू।
जिंदा हूं का प्रमाण पत्र देने से इंकार करती हूं।
बिमार हूं पर दुआ तेरी लेने से इंकार करती हूं।
ज़हर दें दो वेंटीलेटर पर जाने से इंकार करती हूं।
जिंदा हूं अर्थी पर चढ़ाए जाने से इंकार करती हूं।
क़ब्र में दफ़नाने का सवाल पैदा ही नहीं होता।
मेरी जिंदगी का फैसला दूसरे करें मुझे मंज़ूर नहीं।
सुन लो शवदाह गृह में अंत्येष्टि को स्वीकार करती हूं।
नगीना शर्मा 🌴
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