बस चार दिन का भी इंतजार नहीं किया तुमने।
आठ को गई मेरा बारह को आने का वादा था।
गले मिलकर रो लेती हमसे या साथ सफ़र में जाना था।
बेटे से मिलने जाने में मुझको भी साथ लेकर जाना था।
धीरज तुम ही कहो क्या बहना को तेरे जाने का बहाना था।
अब मैं क्यों कर धीर धरूं जो लौटकर ना तुमको आना था।
चौबीस तुमने इतने प्यार भरे सपने दिए।
कैसे कहूं चौबीस तुमने कुछ दिया नहीं।
कुछ चले गए रूठकर तो कुछ आकर मिल गए।
जिसकी झोली खाली हो तुम भर जाना।कभी इतने दर्द दिए तुमने आंसू मेरे कम पड़ गए।
कभी इतनी खुशी दी तुमने हंसते-हंसते आंसू आ गए।
जाते-जाते बस इतना कर जाना तुम।
जिनकी झोली खाली दिखे भर जाना तुम।
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