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प्रेम काव्य नहीं महाकाव्य है

 


हमारे किस्से को यूं खत्म होना ना था 

तुमसे बात करना शौक नहीं है मेरा।

मेरे वजूद को ज़रूरत है तलब है तेरा।

तुम्हारी आवाज़ भी जब मुझ तक नहीं आती है।

तस्वीर तुम्हारे करीब होने का एहसास कराती है।

पुरानी यादें हमें जिंदगी जीने का हौसला दिलाती है।

प्रेम में अल्फाज़ो का कोई काम नहीं, 

यार रूबरू होने की भी दरकार नहीं।

प्रेम कोई काव्य नहीं महाकाव्य है यार।

देखो तो सही मौन में ही इसका पूरा इज़हार है।

हर पल, हर लम्हा, तन्हाई में मेरे साथ रहती है।

तुम्हारे करीब हूं मैं इसका हमें एहसास कराती है।

तुम्हें खोकर भी अकेले होने के दंश से बचाती है।

सुनो तुझे खोया,पर तुझे खोना ना था।

हमारे किस्से को यूं खत्म होना ना था।

उम्रभर सुकून से मेरे दिल में रहना ना था।

थोड़ी सी भी इंतजार तुमको करना ना था।

यार मुझे मालूम था मैं तेरे काबिल ना था।

तेरा व्यवहार और लहजा बता गया था हमें।

शर्मिन्दा ना हो जाऊं ऐसा सोचकर तुमने।

लहजा बदल डाली जुंबा से कुछ कहा नहीं।

यार मुझे मालूम था मैं तेरे काबिल ना था।

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