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5- Ek Tasveer de sakoge/Beganepan ku bu/Tumne sab lauta diya


भाग- 5

इस कविता की प्रेरणा मुझे एक विवाह समारोह में मिली जहां मैंने दूल्हे को आंसुओं में देखा। उसके चेहरे पर खुशी की बजाय एक असह्य पीड़ा थी, जो मुझे भीतर तक हिला गई।  

जब मैं अकेले में उसकी मां से बात करने का साहस जुटा पाई, तब यह हकीकत सामने आई —
वह लड़का किसी और से मोहब्बत करता था, लेकिन पारिवारिक दबाव और सामाजिक बंधनों के चलते उसे इस शादी के लिए मजबूर किया गया।  
उसके आंसू किसी रस्म के नहीं, बल्कि टूटी मोहब्बत और अधूरे सपनों की स्याही थे।  
जब मैंने उसकी मां से यह पूछा कि उसे उसकी पसंद की लड़की से विवाह क्यों नहीं करने दिया गया, तब उन्होंने बताया कि वह लड़की पिछले साल ही किसी और से विवाह कर चुकी है।  
यह कविता उस युवा के दर्द को समर्पित है — जिसे जीवन की सबसे अहम घड़ी में अपने दिल की आवाज़ को दबाना पड़ा।
मैंने कविता में उसके भाव को बांधने की कोशिश की है।

धन्यवाद ❤️

हाथ मांगा नहीं पर हाथ मिलता गया।

लोग आते गए कांरवा बढ़ता गया।

चाहने वालों के साथ ही मैं चलता गया।

 जिंदगी चलती रही मैं रहा अनमना।

बहुतों के भीड़ में तुम सा कोई ढूंढता रहा।

एकबार तुमसे मिलने की दुआ मांगता रहा।


जब दोनों एक बार फिर मिले,  


तो वहां केवल मौन था।

ना शिकवा था, ना सवाल,  

बस आँखों में पुरानी यादों का

हल्का सा खुमार दिख रहा था।


सेहरे में मेरी तस्वीर साथ मेरी तकदीर।

मेरी नज़रों ने तुम्हें तस्वीर देखता पाया।


याद है तुमने मौन तोड़ते हुए फ़रमाया।

ना कोई शिकवा, ना ही कोई शिकायत।


तस्वीर अच्छी आई है, एक दे सकोगे ?

तुम्हारे इस मांग मे बेगानापन की बूं थी।


लड़ कर मांगने वाले का बेगानापन बता गया।

जिंदगी ही नहीं मन का रास्ता भी जुदा हो गया।


कुछ कहा नहीं पर नजरों ने सब कह दिया।

नहीं लौटा कर भी तुमने सब कुछ लौटा दिया।


मैं मौन था लेकिन मेरे मन में कई सवाल थे।

मेरे आंखों में तेरी छवि अब भी बरकरार थे।


सब कुछ कभी नहीं बदलता वैसे रह जाता है।

कुछ रिश्ते खामोशी में जीने की हुनर रखते हैं।


ऐसे रिश्ते वक्त से नहीं जीते- मरते हैं।

दुर्भाग्यवश ऐसे रिश्ते बेनामी होते हैं।

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