दर्द बेवजह कहां है मेरा
जख्म तो कब के भर गये होते मेरे ।अपनो ने गर नमक छिङके ना होते।
दर्द बेवजह कहाँ है मेरा ?
ऐसा कहते है जो उन्होने,
हमें अब तक समझा कहाँ है?
गैरो से शिकवा नही है मेरा।
गैरो से शिकवा नही है मेरा।
जिन्हे समझा था अपना वो भी,
गैर निकले कोई मेरा अपना कहाँ है?
ए जख्म हमे क्या विरासत मे मिले है?
यह खुद का ही तो कमाया हुआ है ।
सच बोलने की ऐ तो सजा है।
सच बोलने की ऐ तो सजा है।
झूठ हमने कमाया कहाँ है ?
झूठ का बोलवाला हो जहाँ वहां,
झूठ का बोलवाला हो जहाँ वहां,
सच के लिए जगह कहीं बचा कहाँ है?
चल रहे थे तो हम यू भी अकेले,
चल रहे थे तो हम यू भी अकेले,
साथ में है कोई,भ्रम मेरा टूटा कहाँ है?
चलते-चलते थक रहे क्यू पावँ मेरे,
चलते-चलते थक रहे क्यू पावँ मेरे,
क्या कोई मेरा साथ देने को खङा है?
तमाम उम्र का साथ चाहा ही कहाँ था ? अपने दरमियान कोई भी वादा कहाँ है।
इतनी कट गई तो कट ही जाएगी जिंदगी। मौत से मैंने लिया कभी पंगा कहां है?
तमाम उम्र का साथ चाहा ही कहाँ था ? अपने दरमियान कोई भी वादा कहाँ है।
इतनी कट गई तो कट ही जाएगी जिंदगी। मौत से मैंने लिया कभी पंगा कहां है?
हर वक्त पुकारती रही जिसे मै,
हर जगह है वो तो फिर यहाँ कहाँ है भेजकर मुझको शायद भूल गया वो,
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