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जिंदगी जीने दो मुझे मेरे हिसाब से

जिस कंधे पर सर रख दुनिया भूला सको 

जिंदगी है, जीने दो मुझे मेरे हिसाब से।

मरने पर जला लेना तू अपने हिसाब से।


रिश्तों को बचाने हेतु चुपचाप सहना हो।

स्टेपनी बन समय का इंतजार करना हो।


बात जब आत्मसम्मान की आती हो।

अपने आप को पीछे खींच लिया करो।

यह हार नहीं अंततः जीत होगी तुम्हारी।


तेरी मौजूदगी गैर मौजूदगी से ना कोई फर्क है।

तेरा नहीं कोई महत्व है वहां मौजूदगी व्यर्थ है।


हर जंग में जीतने की आदत ना बनाओ।

तेरा ना कोई महत्व वहां मौजूदगी व्यर्थ है।


अपने को पीछे खींच लो तमाशा ना बनाओ।

अंत को अंत ही रहने दो अंततः ना बनाओ।


कैसा भी रिश्ता हो जिंदगी से बड़ा नहीं है।

खुद टूटने से पहले तुम रिश्ते तोड़ आओ।


यह बेरूखी नहीं है तेरा आत्मसम्मान है।

तेरी बेरूखी खुद से प्रेम की अभिव्यक्ति है।


अपने- आप को पीछे खींच लिया करो।

अंत को अंत रहने दो ना अंततः बनाओ।


रिश्तों में अहंकार भरा प्यार भी नागवार है।

जहां भावनाओं का तेरा होता तिरस्कार हैं।


प्रेम औरतों का विषय है मर्दों का रहा नहीं।

सावित्री लड़ी यमराज से इतना ही है सही।


प्रेम में साहस और त्याग औरतों का गहना है।

ऐसे गहनों से मर्दों का रहा कभी वास्ता नहीं।

समझा करो प्यार जब भी हद से बढ़ जाता है।

उसी क्षण वह बेकायदा,बेमिसाल हो जाता है।


मर्दों की शौर्य मानसिकता को गौर से देखो।

इसमें भावना नहीं जिस्म हत्या बलात्कार है।


अपने- आप को पीछे खींच लिया करो।

अंत को अंत रहने दो ना अंततः बनाओ।


जिस से मिल कर दिल को तेरे सुकून मिले।

जिस कंधे पर सर रख दुनिया भूला सको।


तेरी मुस्कुराहट में जिसे तेरी व्यथा दिखाई दे।

तेरे होठों की हंसी में छुपा दर्द समझ सके।


दुनिया की नजरों से उसे ना कभी तू देखना।

सब ज़ाहिल नक्कारा कहें बस तू ना कहना।


शब्दों की प्रतीक्षा छोड़ ह्रदय की भाषा पढ़ लिया करो।

बस साथ चल पड़ो उसी के तुम ना कभी पीछे हटा करो।

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