![]() |
सोचती हूं तुमको क्या लिखूं 🤔 |
सोचती हूं तुमको क्या कहूं।
सूरज सी उजली धूप हो तुम।
चहुं ओर फैला प्रकाश लिखूं।
तुम लगते हो दीप मंदिर जैसे।
मृगतृष्णा में भटकूं प्यास लिए।
क्या प्रभु का मैं वरदान लिखूं।
दिल कहता है पूनम का चांद कहूं।l
शीतल सुंदर कोयल सी गान लिए।
उद्वेलित मन से तेरा आभार लिखूं।
तुम बंद सीपी का कीमती मोती।
मेरे मन मोहन सा स्वरूप लिए।
हर्षित राधा मन के उदगार लिखूं।
पूर्व जन्म के पुण्य की सारी पूंजी।
तुम तों मेरे सर्वस्व सा दिखते हो ।
जाने क्यों तुम मौन सा दिखते हो।
अंधेरी रातों में सपनों का संसार लिए।
या चमकते तारों भरी आकाश हो तुम।
कभी अतिमुखर तो कभी मौन लिखूं।
तुम मेरे मन मस्तिष्क के चंदन हो।
तुम वीणा का सुमधुर झंकार लिए।
मेरे जीवन नैया का पतवार लिखूं।
शब्दकोश जब लाचारी दिखलाए।
लेखनी लाचार जब खामोश हो जाए।
तुम ही कहो मेरे हो तुम कौन लिखूं ?
0 Comments