शिकवा नहीं करती (1) बचपना अब भी जिंदा है मुझमें मैं अपनी ही शैतानी से डरती हूं। किस्से मशहूर होना है तो हो जाए। आधी- अधूरी कहानी से डरती हूं। …
Read moreख़बर बनते-बनते रह गए घड़ी यानी समय का ख्याल आते हम भूखे-प्यासे विद्यालय की तरफ भागे। हम जब स्कूल की चौखट लांघकर पहुंचे, तब तक क्लास की घंटी अपना सम…
Read more**पगली** पगली रही अकेली, जुड़ने की चाह लिए, बिखरती रही पल-पल, खुद को समेटने की आस लिए। अपने ही बसेरे में, पर किसी …
Read moreमुझे लगता था उर्दू बांए हाथ से लिखते है उर्दू में अक्षरों को हर्फ़ कहा जाता है। इसमें कुल 28 अक्षर होते हैं। हम सभी ने मन लगाकर अक्षर ज्ञान सीख लिय…
Read moreUrdu Sanskriti aur Itihas hai बात उन दिनो की है जब शिक्षिका के रूप में विद्यालय में नई -नई गई थी । मैंने अपने अनुभव पहले भी आपसे शेयर कर रखी है। …
Read moreKoi Siddat se Chahne wala टूटती नहीं है अब घर की खिड़कियों के कांच। ना तो अब वो शहर रहा, ना ही वो दिवाने रहे। तू जो मेरा ना रहा तो, मैं भी कब किसी…
Read moreचाहत, प्यार, मुहब्बत नहीं इश्क है प्रेम **आपके प्रश्न के प्रत्युत्तर में मैं अपना पुराना ब्लॉग शेयर कर रही हूं।** प्रश्न - क्या धोखा खाने के बाद दुब…
Read moreभीड़ से क्यों डरती हूं **भीड़ का भय और एक अनकही कृतज्ञता** भीड़—यह मात्र एक शब्द नहीं, बल्कि एक शक्ति है। यह लोगों को आकर्षित करती है, कमजोर से…
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